ओशो ने स्वतंत्रता कोस तीन वर्गों में बाँटा है-नकारात्मक स्वतंत्रता, सकारात्मक स्वतंत्रता और विशुद्ध स्वतंत्रता।
2.
उसका मानना था कि कानून की सख्ती कुछ दबंग व्यक्तियों की नकारात्मक स्वतंत्रता को बाधित कर सकती है, लेकिन बदले में वह अनेक लोगों की सकारात्मक स्वतंत्रता की रक्षा करता है, जिन्हें अपनी सामाजिक परिस्थितियों के कारण दबंगों का उत्पीड़न सहना पड़ता है.